शीर्षक : Poems on Mother in Hindi – माँ पर हिंदी कविता|
आज मै आपके साथ माँ पर कविता का लेख शेयर करने जा रहा हूँ| आप सब इस कविता को मदर्स डे वाले दिन या फिर अपने विद्यालय में जाकर इन सुंदर कविया को सुना सकते है या फिर आप अपनी माँ के सामने भी इस कविता को पढ़ कर सुना सकते है.
एक माँ ही है जो हमे चलना सिखाती है और दुनिया में सही गलत का हमे पाठ भी सिखाती है| यदि अगर दुनिया में माँ ही ना हो तो इस दुनिया का कोई अस्तित्व ही नही है.
माँ ही है जो हमारा पूरा ध्यान रखती है| अगर हम भूखे रहते है तो माँ भी खाना नही खाती जब तक हम अपने मुह एक भी निवाला नही डाल लेते| वह भूखे पेट ही रहती है.
अगर हम बीमार पड़ जाते है तो माँ हमारे अच्छे स्वास्थ के लिए हमारी पूरी तरह से देख रेख करती है और हमारी हर छोटी से छोटी बातो का भी ध्यान रखती है.
हम सब अपनी अपनी माँ से कितना प्रेम करते है वेसे यह कहने वाली बात तो हे ही नही…!
माँ कहने को ये शब्द बहुत छोटा है मगर इस शब्द की गहराई को दुनिया में कोई नाप नही सकता है|
हम दुनिया के लिए बेशक कुछ भी नही है| पर हर इंसान अपनी माँ के लिए सब कुछ होता है, एक ओरत जो अपनी जिन्दगी अपना घर अपने बच्चे और अपने परिवार के लिए समर्पित कर दे और बदले में सिवाए प्यार के और कुछ ना मांगे वो सिर्फ एक माँ ही हो सकती है एक माँ का ही दिल इतना बड़ा हो सकता है.
तो अपनी माँ की याद में, अपनी माँ के प्यार में आज मै आपके साथ माँ को समर्पित कविता का लेख प्रस्तुत करने जा रहा हूँ जो इस प्रकार है:-
मेरी माँ के लिए ⇓
Emotional Poems on Mother in Hindi Language
घुटनों से रेंगते-रेंगते,
कब पैरो पर खड़ा हुआ|
तेरी ममता की छाओ में,
जाने कब बड़ा हुआ|
काला टिका दूध मलाई|
आज भी सब कुछ वैसा है|
मैं ही मैं हूँ हर जगह,
प्यार ये तेरा कैसा है?
सीधा-साधा, भोला-भला,
मैं ही सबसे अच्छा हूँ|
कितना भी हो जाऊ बड़ा,
माँ ! मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ|
अन्य लेख ⇓
Sad Poem on Maa in Hindi – (प्यारी प्यारी मेरी माँ)
प्यारी प्यारी मेरी माँ
सारे जग से न्यारी माँ…
लोरी रोज सुनाती है,
थपकी दे सुलाती है….
जब उतरे आगन में धुप,
प्यार से मुझे जगाती है….
देती चीजे सारी माँ,
प्यारी प्यारी मेरी माँ….
ऊँगली पकड़ चलाती है,
सुबह-शाम घुमाती है….
ममता भरे हुए हातो से,
खाना रोज खिलाती है….
देवी जैसी मेरी माँ,
सारी जग से न्यारी माँ….
प्यारी प्यारी मरी माँ
प्यारी प्यारी मेरी माँ…
सबकी पसंद ⇓
Maa Par Kavita in Hindi – मैं माँ को मानता हूँ|
बचपन में माँ कहती थी
बिल्ली रास्ता काटे,
तो बुरा होता है
रुक जाना चाहिए…
बचपन में माँ कहती थी
बिल्ली रास्ता काटे,
तो बुरा होता है
रुक जाना चाहिए…
मैं आज भी रुक जाता हूँ
कोई बात है जो डरा
देती है मुझे…
यकीन मानो,
मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता…
मैं माँ को मानता हूँ|
मैं माँ को मानता हूँ|
दही खाने की आदत मेरी
गयी नहीं आज तक…
दही खाने की आदत मेरी
गयी नहीं आज तक..
चाहे हम बड़े हो जाये मगर हम अपनी माँ के लिए तो बच्चे ही है…
माँ कहती थी|
घर से दही खाकर निकलो
तो शुभ होता है..
मैं आज भी हर सुबह दही
खाकर निकलता हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नही मानता….
मैं माँ को मानता हूँ|
मैं माँ को मानता हूँ|
आज भी मैं अँधेरा देखकर डर जाता हूँ,
भूत-प्रेत के किस्से खोफा पैदा करते हैं मुझमें,
जादू, टोने, टोटके पर मैं यकीन कर लेता हूँ|
बचपन में माँ कहती थी
कुछ होते हैं बुरी नज़र लगाने वाले,
कुछ होते हैं खुशियों में सताने वाले…
यकीन मानों, मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता….
मैं माँ को मानता हूँ|
मैं माँ को मानता हूँ|
मैंने भगवान को भी नहीं देखा जमीं पर
मैंने अल्लाह को भी नहीं देखा
लोग कहते है,
नास्तिक हूँ मैं
मैं किसी भगवान को नहीं मानता
लेकिन माँ को मानता हूँ
में माँ को मानता हूँ||
हम सब की माँ हमारी अच्छे से देखभाल करती है और यदि अगर हम कही बाहर घुमने भी जाते है और हमे घर आने में यदि किसी भी तरह की देरी हो जाती है तब उस समय माँ हमे फोन करती रहती है, और हमारा हालचाल पूछती रहती है.
एक माँ ही है जो हमारी जिन्दगी को सवराती है और हमे अपनी जिन्दगी को किस तरीके से जिया जाए वो भी सिखाती है… मेरी माँ तो बहुत अच्छी है.
Heart Touching Poems on Mother in Hindi – माँ पर कविता
जितना मैं पढता था, शायद उतना ही वो भी पढ़ती,
मेरी किताबों को वो मुझसे ज्यादा सहज कर रखती थी,
मेरी कलम, मेरी पढने की मेज़, उसपर रखी किताबे,
मुझसे ज्यादा उसे नाम याद रहते, संभालती थी किताबे,
मेरी नोट-बुक पर लिखे हर शब्द, वो सदा ध्यान से देखती,
चाहे उसकी समझ से परे रहे हो, लेकिन मेरी लेखनी देखती थी,
अगर पढ़ते पढ़ते मेरी आँख लग जाती, तो वो जागती रहती,
और जब मैं रात भर जागता, तब भी वो ही तो जागती रहती,
और मेरी परीक्षा के दिन, मुझसे ज्यादा उसे भयभीत करते थे,
मेरे परीक्षा के नियत दिन रहरह कर, उसे ही भ्रमित करते थे,
वो रात रात भर, मुझे आकर चाय काफी और बिस्कुट की दावत,
वो करती रहती सब तैयारी, बिना थके बिना रुके, बिन अदावात,
अगर गलती से कभी ज्यादा देर तक मैं सोने की कोशिश करता,
वो आकर मुझे जगा देती प्यार से, और मैं फिर से पढना शुरू करता,
मेरे परीक्षा परिणाम को, वो मुझसे ज्यादा खोजती रहती अखबार में,
और मेरे कभी असफल होने को छुपा लेती, अपने प्यार दुलार में,
जितना जितना मैं आगे बढ़ता रहा, शायद उतना वो भी बढती रही,
मेरी सफलता मेरी कमियाबी, उसके ख्वाबों में भी रंग भरती रही,
पर उसे सिर्फ एक ही चाह रही, सिर्फ एक चाह, मेरे ऊँचे मुकाम की,
मेरी कमाई का लालच नहीं था उसके मन में, चिंता रही मेरे काम की,
वो खुदा से बढ़कर थी पर मैं ही समझता रहा उसे नाखुदा की तरह जैसे,
वो मेरी माँ थी, जो मुझे जमीं से आसमान तक ले गयी, ना जाने कैसे…
Happy Mothers Day Poem in Hindi – माँ पर लोकप्रिय कविताएं
माँ बेटी की बाते
मेरा मन्न देख ने को तरसे ये संसार
मुझे भी माँ की गोद में खेलने का हक़ है
मेरे भी कुछ सपने हे जो में अपने
माँ और पिता जी के लिए पूरा करना चाहती हूँ
मुझे मारने से आप लोग तो किसी ना किसी दाग से बच जाओगे पर
क्या कभी अपने आप को माफ़ कर पाओगे
जब देखोगे किसी की बच्ची को किसी की गोद में तो में जरुर याद आउंगी
जब कोई बच्ची स्कूल जायेगी तो में याद आ ही जाउंगी
जब किसी की बेटी अपनी माँ को माँ कह के बुलाएगी तो मै जरुर याद आउंगी
फिर तुम पछताओगे कास मै उसे नही मरती तो आज में भी किसी की माँ होती
माँ तू अपने आप को दोस मत देना तूने तो अच्छा काम किया है अपना फर्ज
पूरा किया हे पर मै तुझे कभी माफ़ ना कर पाउंगी
माँ जब कोई बेटी अपने माँ और पिता का नाम रोशन करेगी तो में जरुर याद आउंगी
माँ अब आसू पोछले वरना में और मर जाउंगी तेरी याद में
माँ माँ माँ मेरी माँ मेरी माँ..!
Short Poems on Mother in Hindi – Love Poem For Mother in Hindi Language
सर्वप्रथम माँ तेरी पूजा
हे जननी, हे जन्मभूमि, शत-बार तुम्हारा वंदन है|
सर्वप्रथम माँ तेरी पूजा, तेरा ही अभिनन्दन है||
तेरी नदियों की कल-कल में सामवेद का मृदु स्वर है|
जहाँ ज्ञान की अविरल गंगा, वहीँ मातु तेरा वर है|
दे वरदान यही माँ, तुझ पर इस जीवन का पुष्प चढ़े|
तभी सफल हो मेरा जीवन, यह शरीर तो क्षण-भर है|
मस्तक पर शत बार धरुं मै, यह माटी तो चन्दन है|
सर्वप्रथम माँ तेरी पूजा, तेरा ही अभिनन्दन है||१||
क्षण-भंगुर यह देह मृत्तिका, क्या इसका अभिमान रहे|
रहे जगत में सदा अमर वे, जो तुझ पर बलिदान रहे|
सिंह-सपूतों की तू जननी, बहे रक्त में क्रांति जहाँ,
प्रेम, अहिंसा, त्याग-तपस्या से शोभित इन्सान रहे|
सदा विचारों की स्वतन्त्रता, जहाँ न कोई बंधन है|
सर्वप्रथम माँ तेरी पूजा, तेरा ही अभिनन्दन है||
दोस्तों, आपसे बस इतना ही कहना चाहूँगा की कभी अपनी माँ का दिल मत तोड़ना, कभी उनसे उची अवाज में बात मत करना|
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Awesome poem Himanshu Sir.
धन्यवाद|
Hi Sir bahut helpfull article hain. Awesome poem hain.Bahut dino ke baad aisa poems mila hain.
Very nice
Thanks
I love this .
Very nice
Thanks
I love this .it is really amazing